
बीज़ मंत्र (Beej Mantra):- हम सभी संस्कृत और हिंदी मंत्रों के बारे जानते है जैसे चक्रों के बीज़ मंत्र (लं वं रं यं, आदि), गायत्री मंत्र, महा मृत्युंजय मंत्र और भी देवी देवता आदि के मंत्र।
ये बीज़ मंत्र (Beej Mantra) किस प्रकार कार्य करते है इसके पीछे क्या विज्ञानं है?
मैंने इसके रहस्य को जानने का प्रयास किया है वही अनुभवः साँझा कर रहा हूँ। यह सारा संसार एक मानसिक चेतना के प्रभाव से अलग-अलग प्रतीत होता है जबकि हम सभी जीव जंतु पेड़ पौधे नादिया आकाश सारा ब्रह्मांड सभी दृश्य अदृश्य सृष्टि आपस मे एक ड़ोर से जुड़े हुए है, एक ही हैं यह भी कहा जा सकता है। जैसे एक विशाल समुन्द्र मे लहर उठती है और अपना अस्तित्व समुन्द्र से भिन्न जान लेती है किंतु वह लहर समुन्द्र से अलग नहीं है, लहर बनने से पहले भी पानी और मिटने के बाद भी पानी हो जाती है।
हमारा मस्तिष्क एक उपकरण की तरह ही है जो इस चेतना का साक्षी भी होता है और हमारे सभी विचार इसी उपकरण मे चलते रहते हैं। मस्तिष्क की कुछ विशेषताओं की बात करें तो यह चित्रों, आकृतियों को ही समझ पाता है, याद रख पाता है। यह किसी भी भाषा की वर्णमाला नहीं केवल उन वर्णों की आकृति को ही यह पहचानता है, इसके विचार करने की तीव्रता और क्षमता तो सभी जानते है।
मस्तिष्क के बाद बात करते है इस ब्रह्मांड की संरचना की, यह ठोस पदार्थ दिखने वाला संसार वस्तुतः ऊर्जाओं, तरंगों का ही स्वरुप है, एक ही जैसी ऊर्जाएं जब एकत्र हो जाती है तो फिर वह ठोस पदार्थ का रूप ले लेती है।
ब्रह्मांड की अद्भुद विशेषता है यह किसी विशेष भाषा, आकृति को नहीं समझता बल्कि आवृति (फ्रीक्वेंसी), ध्वनि कंपन को पहचानता है और उसी पर प्रतिक्रिया करता है, इसलिए ऐसा कोई नियम नहीं है कि संस्कृत हिंदी या किसी विशेष भाषा या किसी विशेष मन्त्र की ही कोई माँग पूर्ति होती है। हमारे मस्तिष्क के विचार और भाव की ऊर्जा ही मंत्र को शक्तिशाली करती है और इस पर ही ब्रह्मांड की प्रतिक्रिया निर्भर करती है।
कुछ आकृतियां भी ऐसी होती है जो हमारे मस्तिष्क को अत्यन्त तीव्रता से समझ आती इसीलिये हमारे ऋषि मुनियों ने अपने ज्ञान और अनुभवः से विभिन्न देवी देवता की आकृतियां बनायीं हैं, जिन्हें देखते ही हमारे भाव मष्तिष्क को सूचना देतें है और मस्तिष्क ऊर्जा को, तरंगों को ब्रह्मांड मे संचारित कर देता है हमारी मनोकामनाएं पूर्ण होने लगती है।
यह कोई चमत्कार नहीं होता सब कुछ नियम के, कार्यप्रणाली के अनुसार ही होता है।
अन्य उदाहरण से समझते हैं जब आप किसी बैंक मे जातें है तो एक प्रबंधक (मेनेजर ) होता है, एक खजांची (कैशियर) होता है, इसी प्रकार से सब कुछ व्यवस्था बनायीं जाती है ताकि हमारा मस्तिष्क कार्य अनुसार आकृति को जान पाए समझ पाए, ऐसा ही मुनियों ने धन की लक्ष्मी, शक्ति की दुर्गा, नए प्रारंभ के गणेश, शिक्षा की सरस्वती आदि देवता हमारे मस्तिष्क के भाव को तरंग को बल देने के लिए बनाये है।
साधारण भाषा या मंत्रो मे भी ऊर्जा होती है जो ब्रह्मांड तक हमारी सूचनाएं पहुचती है किंतु बीज़ मंत्र (स्विच वर्ड्स) तरंगों की गति को कई गुणा तीव्रता से ब्रह्मांड तक पहुंचाते हैं, उदहारणार्थ एक स्थान से दूसरे स्थान जाने मे कार से 2 दिन लगते हैं किंतु हवाईजहाज़ से कुछ घंटों मे ही यात्रा हो जाती है।
बीज़ मन्त्र रॉकेट की सी तीव्रता से हमारी सुचना को ब्रह्मांड तक पहुचाते हैं और जब हम बीज़ मन्त्र का निरंतर करते है तो ऊर्जा का अद्भुद क्षेत्र निर्मित हो जाता है और मनोकामना पूर्ति होती है।
बीज़ मंत्र (Beej Mantra) का निरंतर जाप करने से मस्तिष्क को कार्य मिल जाता है और फिर अन्य दूसरे विचार नहीं पनपते ताकि कोई रुकावट पैदा हों।
आईये मिलकर हम अपने जीवन को ज्ञान और विज्ञानं से सफ़ल बनाएं।
Good Article
Thanks for Awakening Article
GOLDEN SUNRISE
Nice article Puneet.
Thanks