
जीवन एक अनुठी यात्रा है यहाँ कुछ भी जीतने या हारने जैसा कुछ नहीं है।
यहाँ ना तो किसी को कुछ जीतना है ना ही कुछ हारना है ।
यह ऐसी यात्रा है जहाँ किसी मंज़िल पर नहीं पहुंचना है।
क्योंकि यहाँ मंज़िल दूर नहीं है बल्कि यह यात्रा खुद ही मंज़िल है।
यहाँ हर किसी को अलग अलग परिस्थितियों मे जीवन यात्रा का अवसर मिलता है। इस यात्रा के दौरान हम सभी कुछ खट्टे मीठे अनुभवों से गुज़रते है जिसमे शारीरिक स्वास्थ्य के तथा रिश्ते नातों संबध के अनुभव भी होते है।
इस प्रकार जीवन यात्रा मे जो भी अनुभव प्राप्त करते है सब व्यवस्था के तहत होता है जो हमें शिक्षा और ज्ञान कराने के लिए होता है।
हम इस जीवन मे आते है एक विशेष प्रयोजन के साथ यह ऐसा ही है जैसे कलाकार का लिखे हुए कथानक के अनुसार अभिनय करना हो और इसकी अनुभूति करना।
प्रकृति के नियम के अनुसार यहाँ कोई छोटी से छोटी घटना भी किसी कारण के तहत होती है बगैर कारण के कुछ घटित नहीं होता।
प्रकृति मे कुछ भी व्यर्थ नहीं होता प्रत्येक घटना, वस्तु, विषय एक कारण लिये हुए है। हम अपनी मानसिक क्षमता के अनुसार किसी अच्छा या बुरा इस प्रकार तुलना करते है पर प्रकृति के रहस्य विशेष प्रायोजन के अनुसार अपने वर्तुल मे यानि कार्यक्षेत्र मे प्रभावित होते है।
पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार किसी एक की जीवन यात्रा सिर्फ वर्तमान एक जन्म की नहीं अपितु कितने ही बीते हुए जन्मों और आने वाले जन्मों की यात्रा होती है।
अब तो विज्ञान भी पुनर्जन्म के तथ्य को प्रमाणित कर चुका है।
अब यदि इस पुनर्जन्म के विज्ञान के अनुसार इस जीवन यात्रा को माना जाये तो प्रत्येक जीव कई जन्मों के अनुभव और घटनाओं के आधार पर ही वर्तमान जीवन यात्रा की परिस्तिथि और सामाजिक जीवन की भूमिका तय होती है।
वर्तमान जन्म मिलने से पहले पूर्वजन्म के अनुभव के आधार पर हमने क्या शिक्षा प्राप्त की और क्या कमी रह गयी इसका पूरा लेखा-जोखा हम देखते है और आगे का निर्णय करते है। हमारे वर्तमान के माता पिता परिवार हम स्वयं ही चुनते है यही नहीं अपने मित्र और सम्बन्ध सभी खुद चुनते है। इस तरह जीवन यात्रा के सभी अनुभव जिसमे कुछ को हम शत्रु और कुछ को मित्र समझ लेते है वस्तुतः यह सभी अनुभव हम खुद ही चुनते है ताकि हम शिक्षा प्राप्त कर सके।
तो इस जीवन यात्रा मे ना तो कोई शत्रु होता है न ही कोई मित्र होता है सभी सांसारिक सम्बन्ध और परिस्तिथि जो भी जीवन मे आती है यह सभी हमें शिक्षा प्रदान करने के लिए होती है।
बार बार जन्म का प्रायोजन केवल इतना ही होता है कि जीव जो पूर्ण प्रकाशमान एक परम तत्व, जिसे परमात्मा या ईश्वर भी कहा जाता है , उनका ही अंश है और पूर्ण शिक्षा से प्रकाशमान हो उसी परम तत्व में विलीन हो जाता है। जब तक जीव पूर्ण रूप से प्रकाशमान नहीं हो जाता है तब तक यह यात्रा ऐसे ही चलती रहती है।
इसीलिए जीव को किसी भी व्यक्ति विषय या वस्तु से राग द्वैष न रखते हुए अपनी जीवन यात्रा का सुखद अनुभव करते रहना चाहिए और सही शिक्षा प्राप्त कर दिव्य प्रकाश मे एक होने का प्रयत्न करते रहना चाहिये।
GOLDEN SUNRISE Sir. Thanks for sharing.
Puneet Tyagi very well penned down…. the real purpose of live and more about the journey.
Thank you for writing. Jai Ho